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दुःख मेरा सहोदर भाई है

  • vitastavimarsh1
  • Apr 27
  • 1 min read

ललन चतुर्वेदी

वह मेरे जन्म के ठीक अगले पल में पैदा हुआ


उसे देख मैं रो पड़ा


उसके जन्म से बेखबर आसपास खड़ी स्त्रियों ने हँसकर मेरा जन्मोत्सव  मनाया


सबने मेरी माँ को बधाई दी



कभी किसी को भनक तक नहीं  लगी और वह  मेरे साथ - साथ पलता रहा


उसे माँ के दूध की कभी जरुरत  महसूस नहीं हुई


वह मेरी खुशियों को पीकर घूमता रहा मदमस्त


जब कभी आते मेरे जीवन में खुशियों के मौके


वह आ धमकता अनामंत्रित हिस्सेदार की तरह



वह वास्तव में मुझसे छोटा था


इस नाते मेरे प्यार का अधिकारी था


कैसे कर सकता था मैं उसके अनिष्ट की कामना


जब भी मिला मैंने हॅंस कर उसका स्वागत किया



उसने कभी मेरे साथ धोखा नहीं किया


मैंने भी उसका  पूरा- पूरा हक दिया


उसने भी अनुज होने का फर्ज निभाया


मेरे जाने के बाद ही विदा हुआ



दुःख मेरा सहोदर भाई था


मैं देख भी कैसे सकता था, उसे पहले जाते हुए।


संपर्क: 202, असीमलता अपार्टमेंट, मानसरोवर इनक्लेव, एन्सिलीरी चौक के निकट  हटिया, रांची-834003 lalancsb@gmail.com

 
 
 

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